शून्य कोटि अभिक्रिया
वे रासायनिक अभिक्रियाऐँ जिनमेँ समय के साथ-साथ
अभिकारक पदार्थ की सान्द्रता मेँ कोई परिवर्तन नहीँ होता है ।
वे अभिक्रयाएँ शून्य कोटि अभिक्रियाएँ कहलाती हैँ ।
या
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमेँ अभिक्रिया की दर अभिकारक पदार्थोँ के सक्रिय द्रव्यमानोँ की शून्य घात के समानुपाती होती हैँ , शून्य कोटि अभिक्रिया कहलाती हैँ ।
माना किसी पदार्थ की सान्द्रता a mole है ,
तथा t sec पश्चात् पदार्थ के x mole वियोजित हो जाता है । तब -
अभिक्रिया की दर ∝ [A]
dx/dt ∝ [A]
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए
dx/dt = k [A]
जहाँ , k = शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक
dx/dt = k (a - x) 0
dx/dt = k
dx = k dt
दोनो पक्षोँ का समाकलन करने पर ,
वे रासायनिक अभिक्रियाऐँ जिनमेँ समय के साथ-साथ
अभिकारक पदार्थ की सान्द्रता मेँ कोई परिवर्तन नहीँ होता है ।
वे अभिक्रयाएँ शून्य कोटि अभिक्रियाएँ कहलाती हैँ ।
या
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमेँ अभिक्रिया की दर अभिकारक पदार्थोँ के सक्रिय द्रव्यमानोँ की शून्य घात के समानुपाती होती हैँ , शून्य कोटि अभिक्रिया कहलाती हैँ ।
माना किसी पदार्थ की सान्द्रता a mole है ,
तथा t sec पश्चात् पदार्थ के x mole वियोजित हो जाता है । तब -
अभिक्रिया की दर ∝ [A]
dx/dt ∝ [A]
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए
dx/dt = k [A]
जहाँ , k = शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक
dx/dt = k (a - x) 0
dx/dt = k
dx = k dt
दोनो पक्षोँ का समाकलन करने पर ,
∫ dx= ∫ k dt
x = kt +I
जहाँ I =समाकलन नियतांक
प्रारम्भ मेँ
जब t = 0 sec
तब x = 0
उपरोक्त 0 = k × 0 + I ⇒ I = 0
I का मान समीकरण (1) मेँ रखने पर
x = kt
k = x/t
शून्य कोटि अभिक्रियाओँ के अभिलक्षण :-
1. शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए अभिक्रिया के वेग
स्थिराँक का मात्रक सान्द्रण समय KI-¹ अर्थात्
मोल लीटर KI-¹ सेकण्ड KI-¹ होता है ।
2. इस अभिक्रिया के लिए सान्द्रता तथा अभिक्रिया की
दर के बीच ग्राफ खीँचने तर एक सरल रेखा प्राप्त होती है ,
अर्थात अभिक्रिया की दर पदार्थ की सान्द्रता पर निर्भर नहीँ करता है |
x/dt का t के विपरीत आलेख समय अक्ष के समान्तर
एक सरल रेखा होती है ।
एक सरल रेखा होती है ।
3. अभिक्रिया के किसी भी आंशिक परिवर्तन के
पूर्ण होने मेँ लगा समय प्रारम्भिक सान्द्रता 'a' के अनुक्रमानुपाती होता है ।
5. शून्य कोटि अभिक्रियाओँ के पूर्ण होने मेँ एक निश्चित समय लगता है ।
* अर्द्धआयु काल :-
वह समय जिसमेँ कोई अभिकारी पदार्थ अपनी
प्रारम्भिक मात्रा का आधा शेष रह जाता है
,वह उस पदार्थ का अर्द्धआयु काल कहलाता है ।
जब T = t½
तब x = a/2
उपरोक्त मान समीकरण (2) मेँ रखने पर ,
k = a /2 /t½
t½ = a / 2k ( ∵ 2 तथा k = नियतांक )
t½ ∝ a
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