द्वितीय कोटि अभिक्रिया हिंदी में Second Order Of Reaction

द्वितीय कोटि अभिक्रिया [:>

वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमेँ अभिक्रिया की दर अभिकारक पदार्थ की सान्द्रता की द्वितीय घात के समानुपाती होती है । वे अभिक्रियाएँ द्वितीय कोटि अभिक्रिया कहलाती है.

द्वितीय कोटि अभिक्रियाएँ दो प्रकार की होती है ।

1.  2 A  →  Product

2.  A + B → Product

TYPE : 1

2A        →    Product

a mole      0  T = 0 sec
(a-x)          x mole
mole         T = t sec

माना पदार्थ की प्रारम्भिक सान्द्रता 2 मोल तथा t सेकण्ड मेँ इसके x मोल वियोजित हो जाते हैँ . तब द्वितीय कोटि अभिक्रिया के लिए ,

dx/dt ∝ [A]²

dx/dt = k [A]²

जहाँ k = द्वितीय कोटि अभिक्रिया वेग स्थिरांक

dx/dt = k (a - x)²

dx/(a - x)²  = k dt

दोनोँ पक्षोँ का समाकलन करने कर ,

∫ dx/(a - x)²  = ∫ k dt

(1/a - x) = kt + I  ........(समीकरण 1)

जहाँ I = समाकलन स्थिरांक

प्रारम्भ मेँ . जब t = 0 ,
तब x =0

उपरोक्त मान समीकरण (1) मेँ रखने पर ,

(1 / a - 0 ) = k  × 0 + I        ⇒  I = 1 / a

I का मान समीकरण (1) मेँ रखने पर ,

( 1 / a - x ) = kt + 1 / a

kt = 1 / (a - x)  -  1 / a

kt = a - (a - x) / a (a - x)

Kt = x / a (a - x)

k = 1 / t  (x / a (a - x)

TYPE : 2

A  +   B   →   Product

a        b      0  T = 0 sec
(a-x)  (b-x)  x T = t sec

माना पदार्थ A की प्रारम्भिक सान्द्रता a मोल तथा पदार्थ B की सान्द्रता b मोल है । इसके t सेकण्ड मेँ x मोल वियोजित हो जाते हैं , तब द्वितीय कोटि अभिक्रिया के लिए -

dx / dt  ∝  [A]¹  [B]¹

dx / dt = k  [A]¹  [B]¹

जहाँ k = द्वितीय कोटि अभिक्रिया वेग स्थिरांक

dx / dt = k (a - x)¹ (b - x)¹

dx / (a - x) (b - x) = k dt

द्वितीय कोटि की अभिक्रियाओँ की बिशेषतायेँ (अभिलक्षण) :-
1. वेग - नियतांक (स्थिरांक) k की इकाई समय सान्द्रण KI-¹ अर्थात् (मोल/लीटर) -¹ सेकण्ड -¹ या लीटर मोल -1 सेकण्ड -¹ होती है ।
 
2.अभिक्रिया की दर सान्द्रता 2 के अनुक्रमानुपाती है । अत: यदि अभिकारक की सान्द्रता दो गुनी दी जाये तो दर चार गुनी हो जायेगी । dx / dt का सान्द्रता2 के विपरीत आलेख मूल बिन्दु से होती हुई सरल रेखा प्राप्त होती है जिसकी प्रवणता k के बराबर है ।
 
3. अभिक्रिया के किसी निश्चित आंशिक परिवर्तन के पूर्ण होने मेँ लगा समय प्रारम्भिक सान्द्रता 'a' के व्युत्क्रमानुपाती होता है ।
 
4. ऐसी अभिक्रियाओं के पूर्ण होने मेँ लगा समय अनन्त होता है ।

उदाहरण :-
1. क्षार द्वारा एस्टर का जल अपघटन या एस्टर का साबुनीकरण :-

CH3COOC2H5  + NaOH  →

CH3COONa  + C2H5OH

यह द्वितीय कोटि अभिक्रिया है , क्योकिँ अभिक्रिया की दर CH3COOC2H5 व NaOH दोनोँ की सान्द्रता पर निर्भर करती है ।